Saturday 11 February 2023

Army Ordnance Corps Recruitment 2023: आर्मी में 10वीं पास के लिए निकली 1793 वैकेंसी सैलरी 63000 से भी ज्यादा

Army Ordnance Corps Recruitment 2023:


इंडियन आर्मी में सेना आयुध कोर रक्षा मंत्रालय ने ट्रेड्समैन मेट और फायरमैन पदों पर भर्ती 2023 का नोटिफिकेशन जारी किया इस भर्ती में 1793 पदों के लिए आवेदन मांगे हैं इच्छुक एवं योग्य उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट aocrecruitment.gov.inपर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

कब से कब तक करें आवेदन :

आधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार ऑनलाइन 6 फरवरी 2023 से शुरू हो चुका है योग्य एवं इच्छुक उम्मीदवार 26 फरवरी 2023 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

Army Ordnance Corps Recruitment 2023: में खाली पदों का विवरण :
कुल 1793 पदों के लिए भर्ती निकाली गई है जिसमें ट्रेड्समैन के 1249 पर तथा फायरमैन के 544 पदों के लिए आवेदन मांगे गए हैं -

ट्रेड्समैन : 1249 पद
फायरमैन : 544 पद
कुल खाली पद :1793 पद 

Region Wise Vacancy List :

आवेदन के लिए जरुरी योग्यता :

आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी का मान्यता प्राप्त बोर्ड से हाईस्कूल या समकक्ष परीक्षा पास होना आवश्यक है ट्रेड्समैन पद के लिए संबंधित ट्रेड में आईटीआई डिप्लोमा होना चाहिए।

अभ्यर्थी की आयु :

आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की आयु 26 फरवरी 2023 को कम से कम 18 वर्ष और अधिकतम 25 वर्ष तक होनी चाहिए आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के शारीरिक मानदंड के अनुसार अधिकतम आयु सीमा में छूट दी जाएगी।

आयु सीमा में किसको मिलेगी कितनी छूट :

चयन प्रक्रिया :

 ट्रेड्समैन और फायरमैन पदों पर उम्मीदवारों का चयन दो चरणों के परफार्मेंस के आधार पर होगा जिसमें फिजिकल टेस्ट और लिखित परीक्षा शामिल है। इसमें पहला चरण फिजिकल टेस्ट होगा।


फिजिकल टेस्ट :

ट्रेड्समैन मैट पद के लिए फिजिकल टेस्ट :

  ट्रेड्समैन मैट Male के लिए फिजिकल टेस्ट में सबसे पहले 1.5 किलोमीटर की दौड़ होगी  जिसमें अलग-अलग आयु वर्ग के लिए 6 मिनट से लेकर 9 मिनट 22 सेकंड तक समय सीमा दी गई है। इसके बाद इसके बाद 50 केजी वजन वजन उठाकर 200 मीटर की दौड़ होगी। इस रेस में भी समय सीमा अलग-अलग आयु वर्ग के अनुसार होगी।
ट्रेड्समैन मैट Female के लिए फिजिकल टेस्ट में  1.5 किलोमीटर की रेस 8 मिनट 26 सेकंड में तथा 50 केजी वजन के साथ 200 मीटर की रेस 2 मिनट 40 सेकंड में पूरी करनी होगी।

फायरमैन पद के लिए फिजिकल टेस्ट :

Height : 165 CMS 
SC जाति के अभ्यर्थी को हाईट में 2.5 सेमी की छूट दी जाएगी।

Chest :             Unexpanded      - 81.5 CMS
                         Expanded           - 86    CMS
Weight :.                                      - 50    Kg

फायरमैन पद के लिए दौड़ 1.6 किलोमीटर की होगी जिसमें पुरुष कैंडिडेट के को 6 मिनट तथा महिला कैंडिडेट को 8 मिनट 26 सेकंड में रेस पूरी करनी होगी। इस दौड़ में भी आयोग के अनुसार दौड़ की समय सीमा में छूट दी जाएगी।

लिखित परीक्षा के लिए सिलेबस :

लिखित परीक्षा में जनरल इंटेलिजेंस एंड रीजनिंग के 50 प्रश्न, मैथ के 25 प्रश्न, जनरल इंग्लिश के 25 प्रश्न तथा जनरल अवेयरनेस के 50 प्रश्न आएंगे जो कुल 150 प्रश्न होंगे प्रत्येक प्रश्न 1-1 नंबर का होगा लिखित परीक्षा की समयावधि 2 घंटे की होगी।
कितनी होगी सैलरी :
ट्रेड्समैन मेट :लेवल-1 के तहत 18000 से 56600 रुपए तक
फायरमैन :लेवल 2 के तहत 19900 से 63200 रुपए तक


जानिए कैसे करें आवेदन ?

स्टेप 1: सबसे पहले AOC की आधिकारिक वेबसाइट aocrecruitment.gov.in पर जाएं.
स्टेप 2: होम पेज पर क्रिएट लॉग इन पर क्लिक करके पर्सनल डिटेल्स दर्ज करें और रजिस्ट्रेशन करें. 
स्टेप 3: जनरेट हुए क्रेडेंशियल्स की मदद से लॉग इन करें. 
स्टेप 4: ऑनलाइन अप्लाई लिंक पर क्लिक करें और फॉर्म भरें. 
स्टेप 5: आगे के लिए फॉर्म का प्रिंटआउट लेकर अपने पास रख लें. 

Friday 10 February 2023

उत्तर प्रदेश सरकार ने लांच की परिवार आईडी-एक परिवार एक पहचान योजना

. उत्तर प्रदेश में परिवार आईडी के लिए ऑनलाइन पोर्टल तैयार 
. एक परिवार एक पहचान योजना के तहत बनेगी विशेष आईडी 
. राशन कार्ड धारकों को नहीं बनवाना पड़ेगा यह आईडी कार्ड 

 यूपी में अब हर परिवार के पास अपनी खास आईडी होगी। योगी सरकार ने परिवार आईडी के लिए ऑनलाइन पोर्टल जारी कर दिया है यह परिवार आईडी 12 अंकों की होगी। राशन कार्ड धारकों को परिवार आईडी बनवाने की जरूरत नहीं होगी। उनका राशन कार्ड नंबर ही परिवार आईडी होगी। प्रदेश सरकार एक परिवार एक पहचान योजना के तहत हर परिवार को एक विशिष्ट आईडी जारी करेगी इसके तहत प्रदेश की परिवार इकाइयों का एक लाइव डाटा बेस तैयार किया जाएगा। यह डेटाबेस लाभार्थीपरक योजनाओं के बेहतर प्रबंधन, समय से लक्ष्य प्राप्त किए जाने उनके पारदर्शी संचालन के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। परिवार आईडी से मिले डेटाबेस के आधार पर रोजगार से वंचित परिवारों का चिन्हांकन किया जाएगा और उन्हें रोजगार के अवसर प्राथमिकता के तौर पर उपलब्ध करवाए जाएंगे।

क्या है एक परिवार एक पहचान पत्र योजना :

उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक परिवार एक पहचान योजना की शुरुआत की है इसके तहत अब आम आदमी आसानी से सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकता है। यूपी में रहने वाले जिन भी परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं है वह इसके जरिए योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। मुफ्त और सस्ता राशन भी इसी पोर्टल के जरिए परिवारों को मिलेगा यूपी में कई ऐसे परिवार जो राज्य खाद्य सुरक्षा योजना के पात्र नहीं है इसमें ज्यादातर वह परिवार हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है इस पोर्टल के मदद से अब परिवार अपनी आईडी बनवा सकेंगे और इसी आईडी के जरिए योजना का लाभ उठा पाएंगे।

इस आईडी से लाभ :
. उत्तर प्रदेश सरकार हर परिवार को न्यूनतम एक सदस्य को रोजगार से जोड़ने की परियोजना पर कार्य कर रही है इसको लेकर प्रदेश सरकार ने परिवार आईडी (एक परिवार एक पहचान) योजना चलाई है ।
. यह आईडी बनवाने से परिवार के किसी एक सदस्य द्वारा जाति, निवास प्रमाण पत्र बनवाने के बाद अन्य सदस्यों द्वारा आवेदन करने पर किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और आसानी से प्रमाण पत्र उपलब्ध हो सकेगा।
. बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र अन्य प्रमाण पत्र आसानी से इसके जरिए आवेदन कर पाएंगे।
इसके जरिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ भी आसानी से लिया जा सकेगा।

आवश्यक दस्तावेज :
परिवार आईडी योजना में आवेदन करने के लिए आधार कार्ड और निवास की एक आईडी का होना आवश्यक है परिवार के सभी सदस्यों के आधार कार्ड में मोबाइल नंबर लगा होना चाहिए।

आवेदन कैसे करें :
आप घर बैठे आसानी से एक परिवार एक पहचान योजना में आवेदन कर सकते हैं आवेदन करने के लिए familyid.up.gov.in या sarkari result पर जाकर आसानी से आवेदन कर सकते हैं।
1- सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करने के लिए उम्मीदवार को familyid.up.gov.in का लिंक ओपन करना है।
2. उम्मीदवार को नए पंजीकरण पर क्लिक करना होगा उसके बाद उसे अपना पूरा नाम दर्ज करना होगा और मोबाइल नंबर जो आधार कार्ड में है, उसके बाद एक ओटीपी का सत्यापन करना होगा उसके बाद पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो जायेगी।
3. पंजीकरण के बाद उम्मीदवार को लॉगइन पर जाकर  लॉगिन करना होगा इसके लिए अपने मोबाइल नंबर के साथ ओटीपी सत्यापन करना होगा।
4. इसी प्रकार व्यक्ति अपने आधार कार्ड नंबर और ओटीपी सत्यापन के माध्यम से अपने परिवार के अन्य सदस्यों जैसे पति/पत्नी/माता/पिता/भाई /बहन/पुत्र/ पुत्री और परिवार के अन्य सदस्यों की जानकारी अपने परिवार आईडी कार्ड में जोड़ सकता है।
5. परिवार के सभी लोगों की जानकारी जोड़ने के बाद अपने पते का विवरण देना होगा ।
6. पूरी जानकारी की जांच करने के बाद उम्मीदवार को पंजीकरण जमा करना होगा उसके तुरंत बाद एक परिवार आईडी और एक आवेदन संख्या की जानकारी स्क्रीन पर दिखाई देगी अभ्यर्थी प्राप्त आवेदन संख्या से भी अपनी स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
7. पंजीकरण/आवेदन लॉक करने के बाद अभ्यर्थी उसमें कोई बदला नहीं कर सकेगा।

Tuesday 7 February 2023

इंडियन कोस्ट गार्ड के 255 पदों पर भर्ती 10वीं पास कर सकते हैं आवेदन

इंडियन नेवी में इंडियन कोस्ट गार्ड के जनरल ड्यूटी और डॉमेस्टिक ब्रांच के 255 पदों के लिए आवेदन मांगे गए हैं इस भर्ती के लिए दसवीं पास अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं 


     भारतीय तटरक्षक में नाविक के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 6 फरवरी 2023 से शुरू इस भर्ती के लिए इच्छुक एवं योग्य उम्मीदवार इंडियन कोस्ट गार्ड की आधिकारिक वेबसाइट www.joinindiancoastguard.gov.in या sarkari result पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं जिसकी अंतिम तिथि 16 फरवरी है।

रिक्त पद के लिए आवेदन मांगे गए
नाविक जनरल ड्यूटी -225 पद
नाविक के ही डोमेस्टिक ब्रांच -30 पद

अभ्यर्थी की आयु सीमा
कोस्ट गार्ड नाविक भर्ती 2023 के लिए अभ्यर्थी का जन्म 1 सितंबर 2001 से 31 अगस्त 2005 के मध्य होना चाहिए ।दोनों पदों के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की आयु सीमा 18 से 22 वर्ष के बीच रखी गई है। OBC ओबीसी को आयु सीमा में अधिकतम 3 वर्ष की छूट एवं अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति को 5 वर्ष तक की छूट दी गई है।

शैक्षिक योग्यता
इंडियन कोस्ट गार्ड की तरफ से निकाले गए दोनों पदों नाविक जीडी और नाविक जीडी के दोनों पदों के लिए अलग-अलग शैक्षिक योग्यताएं निर्धारित की गई हैं नोटिफिकेशन के मुताबिक नाविक जीडी पद के लिए 10वीं और 12वीं फिजिक्स एवं मैथ विषय के साथ तथा नाविक डॉमेस्टिक ब्रांच पद के लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से हाईस्कूल परीक्षा पास होना अनिवार्य है
आवेदन कैसे करें
इंडियन कोस्ट गार्ड नाभिक भर्ती 2023 के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए हैं ऑनलाइन आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी को निम्न स्टेप्स को फॉलो करते हुए इंडियन कोस्ट गार्ड नाभिक भर्ती नाविक भर्ती 2023 के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

.सबसे पहले ऑफिशियल वेबसाइट को ओपन करना है।
. इसके बाद होम पेज पर रिक्रूटमेंट सेक्शन को क्लिक करना है।
.आपको इंडियन कोस्ट गार्ड नाविक रिक्रूटमेंट 2023 पर क्लिक करना है।
.इस के बाद आपको पूरा नोटिफिकेशन ध्यान पूर्वक पढ़ लेना है
.फिर अभ्यर्थी को अप्लाई ऑनलाइन पर क्लिक करना है।
.अभ्यर्थियों को आवेदन फार्म में पूछी गई सभी जानकारी ध्यान पूर्वक सही सही भरना है।
. इसके बाद अभ्यर्थी को फीस पेमेंट करना है।
. इसके बाद अभ्यर्थी को अपने भरे गए फार्म का               फाइनल प्रिंट निकाल कर रख लेना है।

चयन प्रक्रिया
इंडियन कोस्ट गार्ड नाविक भर्ती 2023 में अभ्यर्थियों का चयन  रिटेन एग्जाम, फिजिकल टेस्ट ,डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन एवं मेडिकल एग्जाम के आधार पर किया जाएगा
.Written Exam
.Physical Fitness Test
. Medical Examination
.Original Document Verification 


Monday 6 February 2023

UP:महंगाई की एक और मार रोडवेज ने बढ़ाया अपना किराया

उत्तर प्रदेश में रोडवेज बसों के किराए में भारी इजाफा :
उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन प्राधिकरण(UPSRTC) ने आज दिनांक 06/02/2023 दिन सोमवार  से बसों का  किराया बढ़ाने का फैसला लिया है उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन प्राधिकरण  ने किराया बढ़ाने का कारण डीजल का महंगा होना बताया है साधारण बसों के किराया वृद्धि के साथ वातानुकूलित बसों के किराए में भी वृद्धि हुई है।

कितना बढ़ा किराया और कब से होगा लागू :
उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन प्राधिकरण ने किराए में 24 प्रतिशत की बड़ोत्तरी की है जो सोमवार की आधी रात से प्रभावी होगा अर्थात मंगलवार से हमें बढ़े हुए किराए के साथ सफर करना होगा । जिससे आम आदमी की फर्श पर भारी बोझ पड़ेगा।

पहले प्रति किमी किराया और अब :
बसों के किराए में 25 पैसे प्रति किलोमीटर का इजाफा हुआ है रोडवेज साधारण बसों का किराया 1 किलोमीटर के लिए पहले 1.05 रुपए प्रति किलोमीटर देना पड़ता था अब उसे 1.30 रुपए प्रति किलो मीटर देना पड़ेगा ।आसान भाषा में समझें तो अब 100 किमी यात्रा करने पर 25 रूपये अधिक देने होंगे।

वातानुकूलित बसों का कितना बढ़ा किराया :
साधारण बसों के साथ-साथ वातानुकूलित बसों में के किराए में भी वृद्धि हुई है वातानुकूलित बसों के किराए में 258.78 पैसे तक की बढ़ोतरी की गई है ।

इससे पहले कब बढ़ा था किराया :
इससे पहले वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने किराया बढ़ाया था तब डीजल का भाव लगभग 63  रुपए/लीटर था और आज जब डीजल का भाव लगभग 90 रुपए के करीब है तो एक बार फिर परिवहन प्राधिकरण ने किराए में इजाफा किया गया है

किराया बढ़ाने के पीछे परिवहन प्राधिकरण का तर्क :
परिवहन प्राधिकरण का तर्क है कि किराया बढ़ाकर निगम   की आय बढ़ाई जाएगी ताकि परिवहन लागत वहन किया जा सके और इस वर्ष के अंत तक लगभग 3000 नई बसे अपने बेड़े में बढ़ाई जा सकें।
 

श्रावस्ती के 7 दर्शनीय स्थल | 7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI श्रावस्ती के 7 दर्शनीय स्थल

श्रावस्ती जनपद हिमालय की तलहटी में बसे भारत-नेपाल सीमा के सीमावर्ती जिले बहराइच से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है उत्तर प्रदेश के किस जिले की पहचान विश्व के कोने कोने में आज बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप में है इस जनपद का गठन दिनांक 22 मार्च 1997 को हुआ था जनपद का मुख्यालय भिनगा में है जो श्रावस्ती से 55 किलोमीटर की दूरी पर है , इस पोस्ट के द्वारा हम श्रावस्ती जनपद के मुख्य 7 दर्शनीय स्थलों के बारे में जानेंगे।

1-अंगुलिमाल गुफा

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI : श्रावस्ती बस स्टेशन से 3 किमी की दूरी पर, अंगुलिमाल गुफा या पक्की कुटी श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश के महेट क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन बौद्ध मंदिर है। महेट रोड में स्थित, यह उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध विरासत स्मारकों में से एक है, और श्रावस्ती में प्रमुख स्थानों में से एक है।

वर्ष 1863 में श्रावस्ती शहर के अन्य खंडहरों के साथ पक्की कुटी या अंगुलिमाल स्तूप की खुदाई की गई थी और इसे श्रावस्ती के महेट क्षेत्र में पाए जाने वाले सबसे बड़े टीलों में से एक माना जाता है। प्रसिद्ध चीनी यात्री फा-हियान, एक चीनी विद्वान ह्वेन त्सांग और अलेक्जेंडर कनिंघम (ब्रिटिश इंजीनियर) ने श्रावस्ती में इस प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण की पहचान अंगुलिमाल के स्तूप के रूप में की, माना जाता है कि इसे भगवान बुद्ध के सम्मान में प्रसेनजित ने बनवाया था।

स्तूप का नाम श्रावस्ती के निर्मम डाकू के नाम से लिया गया है- अंगुलिमाल अंगुलिमाल एक खूंखार डकैत था, जो अपने पीड़ितों से कटी हुई उंगलियों का हार पहनता था। एक दिन क्रूर क्रोध में वह अपनी मां को मारने वाला था जब भगवान बुद्ध दरवाजे से गुजर रहे थे। भगवान बुद्ध ने उसे अपनी माँ की हत्या करने से रोका और अपनी बुद्धि से उस पर वर्षा की और उसे शिष्य बना दिया। बाद में, अंगुलिमाल ने ज्ञान का पीछा किया और खुद को बुद्ध के उदार शिष्यों में से एक के रूप में स्थापित किया।

पक्की कुटी की वर्तमान संरचना में बाद के कई परिवर्तन और परिवर्धन हुए हैं। यह एक आयताकार चबूतरे पर बना सीढ़ीदार स्तूप प्रतीत होता है। अंगुलिमाल स्तूप के खंडहरों के बीच, केवल दीवारें, एक प्लिंथ और सीढ़ियों की उड़ान के साथ एक उठा हुआ मंच देखा जा सकता है। हालाँकि, पक्की कुटी के संरचनात्मक अवशेष आज विभिन्न अवधियों के निर्माण कार्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें से सबसे पुराना कुषाण काल है।

समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक

प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 25₹ विदेशियों के लिए 300₹

2-अनाथपिंडिका स्तूप

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI : अनाथपिंडिका का स्तूप या कच्ची कुटी उत्तर प्रदेश में श्रावस्ती के महेट क्षेत्र में स्थित एक उत्खनित स्मारक है। अंगुलिमाल स्तूप के पास स्थित, यह महत्वपूर्ण उत्खनन संरचनाओं में से एक है

कच्ची कुटी महेट क्षेत्र में स्थित दो टीलों में से एक है, दूसरा पक्की कुटी/अंगुलिमाल स्तूप है। इस स्थल से खुदाई में प्राप्त बोधिसत्व की एक छवि के निचले हिस्से पर शिलालेख से पता चलता है कि यह संरचना कुषाण काल की है। इस स्थल को कुछ विद्वानों द्वारा ब्राह्मणवादी मंदिर से जुड़ा हुआ माना गया है, जबकि चीनी तीर्थयात्री फा-हियान और ह्वेन त्सांग इस स्थल को सुदत्त के स्तूप (अनाथपिंडिका) से जोड़ते हैं। एक साधु द्वारा इस संरचना के शीर्ष पर कच्ची ईंटों का एक अस्थायी मंदिर बनाने के बाद इसे कच्ची कुटी के नाम से जाना जाने लगा।

इस शानदार स्तूप का निर्माण एक अग्रणी शिष्य और गौतम बुद्ध के सबसे बड़े संरक्षक अनाथपिंडिका ने करवाया था। सुदत्त अनाथपिंडिका का मूल नाम था, जो एक अत्यंत धनी व्यक्ति था और भगवान बुद्ध का एक उदार संरक्षक था। अनाथपिंडिका का शाब्दिक अर्थ है 'वह जो असहाय को भोजन कराती है'। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध पहली बार अनाथपिंडिका के निमंत्रण पर श्रावस्ती आए थे, जिनसे वे राजगृह में मिले थे। कहा जाता है कि अनाथपिंडिका स्तूप का निर्माण उनके द्वारा गौतम बुद्ध के आश्रय के रूप में किया गया था जब उन्होंने श्रावस्ती का दौरा किया था।

बौद्ध स्तूप की पारंपरिक शैली में निर्मित, यह 2 शताब्दी ईस्वी से 12 वीं शताब्दी ईस्वी तक की विभिन्न अवधियों के संरचनात्मक अवशेषों का प्रतिनिधित्व करता है। साइट से बरामद बड़ी संख्या में पुरावशेषों और उजागर संरचनाओं की प्रकृति के आधार पर, कुषाण काल के एक बौद्ध स्तूप के ऊपर गुप्त काल से संबंधित एक मंदिर का अधिरोपण प्रतीत होता है। स्तूप के अवशेषों में केवल एक प्लिंथ और स्तूप तक जाने वाली सीढ़ियां मौजूद हैं। हालांकि खंडहर में, स्मारक अपनी शानदार नक्काशी और वास्तुकला के कारण इतिहासकारों और पर्यटकों दोनों को आकर्षित करता है।

समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक

प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 25₹                             विदेशियों के लिए 300₹

3-शोभनाथ जैन मंदिर

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI : श्रावस्ती बस स्टेशन से 2.5 किमी की दूरी पर शोभनाथ मंदिर श्रावस्ती में महेट के प्रवेश द्वार पर स्थित एक प्राचीन जैन मंदिर है। अनाथपिंडिका स्तूप के रास्ते में स्थित, यह भारत में प्रसिद्ध जैन मंदिरों में से एक है, और श्रावस्ती में यात्रा करने के लिए महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है।

श्रावस्ती में स्थित शोभनाथ का पुराना मंदिर जैन तीर्थंकर संभवनाथ को समर्पित है। शोभनाथ मंदिर जैन भक्तों के लिए एक अत्यधिक आध्यात्मिक मंदिर है क्योंकि माना जाता है कि यह मंदिर तीसरे जैन तीर्थंकर भगवान संभवनाथ का जन्मस्थान है। श्रावस्ती में यह लोकप्रिय तीर्थ स्थल एक आयताकार मंच पर बना है जिसमें विभिन्न खंड शामिल हैं। अपनी स्थापना के बाद से, मंदिर में कई परिवर्धन और विस्तार हुए हैं।

मंदिर का प्रमुख आकर्षण गुंबद के आकार की छत है जो लखोरी ईंटों से बनी है और यह बाद के मध्ययुगीन काल से संबंधित एक सुपरइम्पोजिशन है। दीवार के आंतरिक भाग में देवताओं की मूर्तियों को रखने के लिए ताकों की एक श्रृंखला प्रदान की गई थी। इस मंदिर के एक कमरे में लगभग 1000 साल पुरानी भगवान ऋषभदेव की मूर्ति एक सपाट पत्थर पर मिली थी। भगवान ऋषभदेव की मूर्ति बैठने की मुद्रा में है और उनके सिर पर तीन छत्र सुशोभित हैं। किनारों पर, केंद्र में दो शेर और एक बैल (ऋषभदेव का प्रतीक) भी दोनों तरफ दो खड़े यक्षों के साथ खुदी हुई है। बाड़े के उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम कोनों पर दो आयताकार कमरों के अवशेष हैं और वे भी कंक्रीट से बने हैं।

इसके साथ ही, इस स्थल पर की गई खुदाई से उस क्षेत्र में तीन मंदिरों के अवशेष भी मिले हैं, जहां 8वें तीर्थंकर भगवान चंद्र प्रभु ने ध्यान किया था। इसके अतिरिक्त चैत्य वृक्ष के अवशेष तथा धार्मिक देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी मिलती हैं, ये मध्यकालीन कला के उत्कृष्ट नमूने हैं। माना जाता है कि शोभनाथ मंदिर के आसपास हो सकता है
अन्य 18 मंदिर; उनमें से एक 8वें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु का जन्मस्थान हो सकता है।

समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक

प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 25₹                             विदेशियों के लिए 300₹

4-जेतवन बिहार

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI : श्रावस्ती बस स्टेशन से 2 किमी की दूरी पर, जेतवन मठ श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश में स्थित एक प्राचीन बौद्ध मठ है। श्रावस्ती के पुराने शहर के ठीक बाहर स्थित, यह भारत के प्रमुख बौद्ध मठों में से एक है, और श्रावस्ती के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।

भगवान गौतम बुद्ध को समर्पित, जेतवन मठ श्रावस्ती के एक अमीर व्यापारी सुदत्त द्वारा बनाया गया था, जिसे अनाथपिंडिका के नाम से भी जाना जाता है। जब भगवान बुद्ध ने श्रावस्ती जाने के लिए अनाथपिंडिका के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया, तो उन्होंने राजा प्रसेनजित के पुत्र राजकुमार जेटा से मठ के लिए जेतवना या जेता ग्रोव खरीदा और भगवान बुद्ध को उपहार में दिया। राजगीर में वेणुवन के बाद गौतम बुद्ध को दान में दिया गया यह दूसरा विहार था। यह मठ अब एक ऐतिहासिक पार्क में परिवर्तित हो गया है, और अभी भी हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।
इतिहास के अनुसार, जेतवन मठ वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने 25 मानसून के मौसम बिताए और कई शिक्षाएं दीं, कई प्रवचन पहली बार किसी अन्य स्थान से अधिक दिए। बुद्ध के समय में, इस स्थान को जेतावन अनाथपिंडिका अरमा या अनाथपिंडिका का जेता ग्रोव का बगीचा कहा जाता था। आज अधिकांश खंडहर कुषाण काल (1-2 शताब्दी ईस्वी) के मंदिरों और स्तूपों के अवशेष हैं। यहां 3 मंदिर हैं जिनमें से एक मठ है जिसके केंद्र में एक मंदिर और मंडप है, दूसरा गंधकुटी (सुगंधित कक्ष) है, और तीसरा कोसाम्बकुटी है।
गंधकुटी वह स्थान है जहां जेतवन में भगवान बुद्ध निवास करते थे। मूल गंधकुटी एक लकड़ी की संरचना थी लेकिन जब तक चीनी तीर्थयात्रियों ने इसे देखा, तब तक यह संरचना दो मंजिला ईंट की इमारत थी जो जीर्ण-शीर्ण स्थिति में थी। अब केवल नीची दीवारें और पत्थर का चबूतरा मौजूद है। कोसाम्बकुटी का निर्माण भी अनाथपिंडिका द्वारा बुद्ध के ध्यान कक्ष के रूप में उपयोग के लिए किया गया था। इसके ठीक सामने एक लंबा चबूतरा है, जो ईंटों से बना है, जो बुद्ध द्वारा चलने के ध्यान के लिए उपयोग किए जाने वाले मूल सैरगाह (कंकामा) के स्थल को चिह्नित करता है।
मठ के मैदान घने पेड़ों से आच्छादित थे, और मठ के बाहरी इलाके में एक आम का बाग था। प्रवेश द्वार के सामने महाबोधि वृक्ष के एक पौधे से अनाथपिंडिका द्वारा लगाया गया बोधि-वृक्ष था। इसे अनाथपिंडिका के अनुरोध पर लगाया गया था ताकि उपासकों के पास श्रावस्ती से बुद्ध की अनुपस्थिति के दौरान प्रत्येक वर्षा के बाद धम्म का प्रचार करने के लिए पूजा करने की वस्तु हो। इस धार्मिक स्थल का एक अन्य आकर्षण जेतवनपोखरण नाम का एक बड़ा तालाब है जहां बुद्ध स्नान किया करते थे। प्रवेश द्वार से कुछ ही दूरी पर एक गुफा थी जो कपालपुवपभरा के नाम से प्रसिद्ध हुई।

समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक

प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 25₹                             विदेशियों के लिए 300₹

5-जैन महामोंगकोल मंदिर

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI
7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI : श्रावस्ती बस स्टेशन से 1 किमी की दूरी पर, जैन महामोंगकोल मंदिर श्रावस्ती में स्थित एक बौद्ध मंदिर और ध्यान केंद्र है। यह भारत में लोकप्रिय ध्यान केंद्रों में से एक है, और श्रावस्ती पैकेज में शामिल स्थानों में से एक है।
श्रावस्ती में दैन महामोंगकोल अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्र थाईलैंड के महा उपासिका सिथिपोल बोंगकोट द्वारा निर्मित सबसे प्रसिद्ध और सबसे बड़ा मंदिर है। यह एक कायाकल्प अनुभव देने वाला सीखने और ध्यान का केंद्र है। यह थाईलैंड में उपासिका बोंगकोट सिथिपोल द्वारा स्थापित दो केंद्रों में से एक है। दुनिया में शांति और सच्ची खुशी को जन्म देने के लिए गुण, महान ज्ञान और दया पैदा करने के लिए शिक्षा पर जोर देने के साथ केंद्र की स्थापना की गई है।
लगभग तीस वर्षों से, केंद्र जनता के लिए ध्यान और ज्ञान का निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। मानव जाति की सेवा के लिए प्रतिबद्ध विभिन्न देशों की लगभग 200 महिलाएं केंद्र से गैर-औपचारिक शिक्षा और अन्य धर्मार्थ गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं। यह क्षेत्र एक मीठे पानी के जलाशय के साथ एक प्राकृतिक जंगल का अनुभव देता है, साथ ही छह बड़े हॉल हैं जो प्रार्थना और ध्यान के लिए लगभग 3000 मेहमानों को समायोजित कर सकते हैं। केंद्र में अत्याधुनिक रिजर्व ऑस्मोसिस शोधन संयंत्र के साथ-साथ कई एकान्त ध्यान झोपड़ियाँ और बड़े भोजन कक्ष भी हैं।
कोई भी यहां मण्डली का हिस्सा हो सकता है या जीवन के उद्देश्य को समझने के लिए समय बिता सकता है, सभी बुरी आदतों को त्याग कर घर लौटने और धार्मिकता का पालन करने के लिए मन को साफ कर सकता है और परिवार और पूरी दुनिया में प्रेम का संदेश फैला सकता है।

समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक

प्रवेश: निशुल्क

6-ओडाझार बौद्ध स्थल

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI
7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI: श्रावस्ती बस स्टेशन से 3 किमी की दूरी पर, ओडाझार श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश में स्थित एक बौद्ध स्थल है। बहराइच-बलरामपुर मार्ग पर स्थित, यह श्रावस्ती के लोकप्रिय स्थानों में से एक है।
ओडाझार को एक परित्यक्त पहाड़ी पर स्थित एक मठवासी परिसर कहा जाता है, जिसमें घास और जंगली झाड़ियों के साथ एक कच्चा रास्ता है। कहा जाता है कि यह वv.ह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने जुड़वां चमत्कार (यमका पथरिया) किया था। इसकी पहचान प्रसिद्ध 'पूर्वाराम' या पूर्वी मठ से की जा सकती है, जिसे लेडी विशाखा ने बनवाया था, जैसा कि फा-हियान ने देखा था। यहाँ उत्खनन से तीन गुना सांस्कृतिक क्रम का पता चला है जो कुषाण काल (पहली शताब्दी ईस्वी) से शुरू हुआ और उसके बाद गुप्त और मध्यकाल का है। कुषाण काल ने सामान्य योजना के साथ एक मठवासी परिसर के अवशेष प्रकट किए हैं। गुप्त काल एक मंदिर के चबूतरे के रूप में देखा जाता है जो एक दीवार से घिरा हुआ है। मध्ययुगीन काल ने गुप्त मंदिर के शीर्ष पर एक तारे जैसी संरचना का खुलासा किया।
ओडाझार के निकट और श्रावस्ती के दक्षिणी शहर-दीवार के दक्षिण में, दो छोटे टीले हैं जिन्हें स्थानीय रूप से पेनाहियाझार और खरहुवांझर के नाम से जाना जाता है, जहां बहुत पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खुदाई की गई थी। पूर्व के टीले में, उत्खनन से 16.20 मीटर व्यास की एक ठोस ईंट संरचना का पता चला है। इसके मूल में एक अवशेष-पात्र, हड्डी के टुकड़े, कुछ सोने की पत्तियाँ, रॉक-क्रिस्टल, चांदी के गोलाकार लैमिनाई और एक पंच-चिह्नित चांदी का सिक्का था। दूसरी संरचना भी गोलाकार थी, जिसका व्यास 31.50 मीटर था, जो तीन संकेंद्रित ईंट की दीवारों से बनी थी, बीच की जगह मिट्टी से भरी हुई थी। इसके मूल में कोई अवशेष-डिब्बा नहीं निकला।

समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक

प्रवेश: निशुल्क

7-विभूतिनाथ मंदिर

7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI
7 VISITABLE PLACES OF SHRAVASTI: भिनगा से 32 किमी और श्रावस्ती से 55 किमी की दूरी पर, विभूति नाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले के मरकिया गांव में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है। यह उत्तर प्रदेश में पवित्र हिंदू तीर्थ स्थानों में से एक है, और श्रावस्ती के पास जाने के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है।
पांडवों द्वारा स्थापित, विभूति नाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इस क्षेत्र के सबसे पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। महान हिंदू महाकाव्य महाभारत से इसके इतिहास के निशान मिल सकते हैं। महाभारत काल में पांडवों ने बारह वर्ष वनवास और एक वर्ष गुप्त स्थान पर बिताया था। वनवास काल में वे कभी-कभी सुहैलदेव के वन प्रदेश में निवास करते थे। उस समय भीम ने एक गाँव बनाने की पहल की जिसे भीमगाँव और बाद में भिनगा के नाम से जाना जाने लगा। भीमगाँव से लगभग 32 किमी उत्तर में पांडवों ने एक शिव मंदिर की नींव रखी जो विभूति नाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
हजारों भक्त हर साल मंदिर में आशीर्वाद लेने और भगवान शिव को श्रद्धांजलि अर्पित करने आते हैं। सावन महीने के दिनों में, विभूति नाथ मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या दोगुनी हो जाती है क्योंकि ये दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए शुभ माने जाते हैं।

समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक

प्रवेश: निशुल्क

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FAQs:

Q: श्रावस्ती जनपद क्यों प्रसिद्ध है ?

ANS: इस प्राचीन शहर में सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण चमत्कार स्तूप है, जहां कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना समय बिताया था। उनके उपदेशों और शिक्षाओं ने श्रावस्ती को बौद्ध शिक्षाओं का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना दिया। भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को याद करने के लिए इस स्थान पर एक स्तूप बनाया गया था।

Q: श्रावस्ती का नजदीकी एयरपोर्ट क्या है ?

ANS: श्रावस्ती जनपद में एयरपोर्ट की स्थापना कर दी गयी है 

 Q: श्रावस्ती का हेड क्वार्टर क्या है ?

ANS: जिला देवीपाटन डिवीजन का एक हिस्सा है। श्रावस्ती का जिला मुख्यालय भिंगा, राज्य की राजधानी लखनऊ से लगभग 175 किलोमीटर दूर है। भौगोलिक क्षेत्र: 1126.0 वर्ग। किमी.

 Q: श्रावस्ती की भाषा क्या है ?

ANS: श्रावस्ती जनपद की भाषा हिन्दी है यहाँ के लोगो द्वारा अधिकांशत अवधी भाषा का प्रयोग भी किया जाता है 

Q: श्रावस्ती की जनसंख्या कितनी है ?

ANS: 2023 में श्रावस्ती की आबादी 1,553,132 होने का अनुमान है। श्रावस्ती भारत में उत्तर प्रदेश के जिलों में से एक है, 2023 में श्रावस्ती की आबादी 1,553,132 है (आधार uidai.gov.in के दिसंबर 2023 डेटा के अनुसार अनुमान)।

Q: श्रावस्ती में कितने गांव हैं ?

ANS: जिले में लगभग 1,88,289 घर हैं, जिनमें 5,958 शहरी घर और 1,82,331 ग्रामीण घर शामिल हैं। गांवों की बात करें तो श्रावस्ती जिले में करीब 509 गांव हैं।

Q: श्रावस्ती जनपद में कितनी तहसीले है ?

ANS: श्रावस्ती जनपद में कुल 3 तहसील है भिनगा इकौना और जमुनहा 

Q: श्रावस्ती में कितने ब्लाक है ?

ANS: श्रावस्ती में कुल 5 ब्लाक है हरिहरपुर रानी ,इकौना ,गिलौला, जमुनहा ,सिरसिया
Q: श्रावस्ती की OFFICIAL WEBSITE क्या है ?
ANS: श्रावस्ती की OFFICIAL WEBSITE https://shravasti.nic.in/ है

Friday 3 February 2023

श्रावस्ती जनपद एक नजर में

श्रावस्ती हिमालय की तलहटी मे बसे भारत-नेपाल सीमा के सीमावर्ती जिले बहराइच से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है |
 उत्तर प्रदेश के इस जिले की पहचान विश्व के कोने-कोने मे आज बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप मे है |
 इस जनपद का गठन दिनांक 22-05-1997 को हुआ था |
दिनांक 13-01-2004 को शासन द्वारा इस जनपद का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया था | पुनः माह जून 2004 सी यह जनपद अस्तित्व मे आया है | जनपद का मुख्यालय भिनगा मे है ,जो श्रावस्ती से 55 किमी0की दूरी पर है | जनपद कोशल एक प्रमुख नगर था | भगवान बुद्ध के जीवन काल में यह कोशल देश की राजधानी थी | इसे बुद्धकालीन भारत के 06 महानगरो चम्पा ,राजगृह , श्रावस्ती ,साकेत ,कोशाम्बी ओर वाराणसी मे से एक माना जाता था |
 श्रावस्ती के नाम के विषय मे कई मत प्रतिपादित है| बोद्ध ग्रंथो के अनुसार अवत्थ श्रावस्ती नामक एक ऋषि यहाँ रहते थे , जिनके नाम के आधार पर इस नगर का नाम श्रावस्त पड़ गया था | महाभारत के अनुसार श्रावस्ती नाम श्रावस्त नाम के एक राजा के नाम पड़ गया | ब्राह्मण साहित्य , महाकाव्यों एवं पुराणों के अनुसार श्रावस्त का नामकरण श्रावस्त या श्रावास्तक के नाम के आधार पर हुआ था | श्रावस्तक युवनाय का पुत्र था ओर पृथु की छठी पीड़ी मे उत्पन्न हुआ था | वही इस नगर के जन्मदाता थे ओर उनही के नाम पर इसका नाम श्रावस्ती पड़ गया | महाकाव्यों एवं पुराणों मे श्रावस्ती को राम के पुत्र लव की राजधानी बताया गया है | बोधह ग्रांटों के अनुसार, वहाँ 57 हज़ार कुल रहते थे ओर कोसल नरेशो की आमदनी सबसे ज्यादा इसी नगर से हुआ करती थी| यह चौड़ी गहरी खाई से खीरा हुआ था | इसके अतिरिक्त इसके इर्द –गिर्द एक सुरक्षा दीवार थी, जिसमे हर दिशा मे दरवाजे बानु हुए थे | हमारी प्राचीन कलाँ मे श्रावस्ती के दरवाजो का अंकन हुआ है |
 चीनी यात्री फ़ाहयान ओर हवेनसांग ने भी श्रावस्ती के दरवाजो का उल्लेख किया है | यहाँ मनुष्यो के उपयोग – परिभाग की सभी वस्तुए सुलभी थी, अतः इसे सावत्थी का जाता है | श्रावस्ती की भौतिक समृद्धि का प्रमुख कारण यह था कि यहाँ पर तीन प्रमुख व्यापारिक पाठ मिलते थे , जिससे यह व्यापार का एक महान केंद्र बन गया था | यह नगर पूर्वे मे राजग्रह से 45 योजना दूर आकर बुद्ध ने श्रावस्ती विहार किया था | श्रावस्ती से भगवान बुद्ध के जीवन ओर कार्यो का विशेष सम्बंध था | उल्लेखनीय है की बुद्ध ने अपने जीवन अंतिम पच्चीस वर्षो के वर्षवास श्रावस्ती मे ही व्ययतीत किए थे | बोद्ध धर्म के प्राचीर की दृस्टी से भी श्रावस्ती का महत्वपूर्ण स्थान था | भगवान बुद्ध के प्रथम निकायो के 871 सुत्तों का उपदेश श्रावस्ती मे दिया था, जिसमे 844 जेतवन मे, 23 पुब्बाराम मे ओर 4 श्रावस्ती के आस –पास के अन्य स्थानो मे उपविष्ट किए गए | श्रावस्ती मे जैन मतावलंबी भी रहते थे | इस धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी यहाँ कई बार आ चुके थे | बोद्ध मतावलंबीयो की भांति जैन धर्मानुयायी भी इस नगर को प्रमुख धार्मिक स्थान मानते थे | जैन साहित्य मे इसके लिए चंदपुरी तथा चंद्रिकापुरी नाम भी मिलते है | जैन धर्म के प्रचार केंद्र के रूप मे यह विख्यात था | श्रावस्ती जैन धर्म के तीसरे तीर्थकर संभवनाथ व आठवे तीर्थकर चंद्रप्रभानाथ की जन्मस्थली थी | महावीर ने भी यहाँ एक वर्षावास व्यतीत किया था जैन धर्म मे सावधि अथवा सावत्थीपुर के प्रचुर उल्लेख मिलते है| जैन धर्म भगवती सूत्र के अनुसार श्रावस्ती नगर आर्थिक क्षेत्र मे भौतिक समृधि के चमोत्कृष पर थी | यहाँ के व्यापारियो मे शंख ओर मकखली मुख्य थे, जिन्होने नागरिकों के भौतिक समृद्धि के विकास मे महत्वपूर्ण योगदान दिया था | जैन श्रोतों से पता चलता है कि कालांतर मे श्रावस्ती आजीवक संप्रदाय के एक प्रमुख केंद्र बन गया | 
श्रावस्ती का प्रगेतिहासिक काल का कोई प्रमाण नहीं मिला है शिवालिक पर्वत श्रखला कि तराई मे स्थित यह क्षेत्र सघन वन व औषधियों वनस्पतियों से आच्छादित था | शीशम के कोमल पत्तों कचनार के रकताम पुष्ट व सेमल के लाल प्रसूत कि बांसती आभा से आपूरित यह वन खंड प्रकृतिक शोभा से परिपूर्ण रहता था| श्रावस्ती के प्राचीन इतिहास को प्रकार्ण मे लाने के लिए प्रथम प्रयास जनरल कनिघम ने किया | उन्होने वर्ष 1863 मे उत्खनन प्रारम्भ करके लगभग एक वर्ष के कार्य मे जेतवन का थोड़ा भाग साफ कराया इसमे इसमे उनको बोधिसत्व की 7 फुट 4 इंच ऊंची प्रतिमा प्राप्त हुई, जिस पर अंकित लेख मे इसका श्रावस्ती बिहार मे स्थापित होना ज्ञात है | इस प्रतिमा के अधिस्ठन पर अंकित लेख मे तिथि नष्ट हो गयी है | परंतु लिपि शस्त्र के आधार पर यह लेख कुषाण काल का प्रतीत होता है | जनपद का प्रमुख प्रयटन स्थल पर भगवान बुद्ध की तपोस्थली कटरा श्रावस्ती थाना इकौना मे है कटरा श्रावस्ती मे बोद्ध धर्म अनुयायियों द्वारा बोद्ध मंदिरो का निर्माण कराया गया है | जिसमे वर्मा बोद्ध मंदिर , लंका बोद्ध मंदिर , चाइना मंदिर , दक्षिण कोरिया मंदिर के साथ –साथ थाई बोद्ध मंदिर है | थायलैंड द्वारा डेनमहामंकोल मेडीटेशन सेंटर भी निर्मित कराया गया , जहां पर भरी संख्या मे विदेशी पर्यटको का आवागमन रहता है |